भारतीय युवाओं को पश्चिम की गलत आदतों को अपनाने से बचना होगा -एनआर नारायण मूर्ति

आईएएनएस। इन्फोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने कहा है कि अगर भारत पिछले दो से तीन दशकों के दौरान जबरदस्त प्रगति करने वाले देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करना चाहता है, तो युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करना पड़ेगा।उन्होंने यह भी कहा कि युवाओं को पश्चिम की गलत आदतों को अपनाने से बचना होगा |

पश्चिम की गलत आदतों से बचें युव

मूर्ति ‘3वन4 कैपिटल’ के पॉडकास्ट ‘द रिकॉर्ड’ के पहले एपिसोड में दिखाई दिए हैं, जिसे आज यूट्यूब पर जारी किया गया था। बातचीत के दौरान उन्होंने राष्ट्र निर्माण, प्रौद्योगिकी, अपनी कंपनी इन्फोसिस और कई अन्य विषयों पर भी बातचीत की। उन्होंने यह भी कहा कि युवाओं को पश्चिम की गलत आदतों को अपनाने से बचना चाहिए।

भारत की कार्य उत्पादकता कम

बता दें कि मूर्ति ने 2020 में भी इसी तरह का आह्वान किया था। उन्होंने कहा था कि अर्थव्यवस्था के पुनरोद्धार के लिए अगले दो से तीन सालों तक पेशेवरों को सप्ताह में 60 घंटे काम करना चाहिए। इन्फोसिस के पूर्व सीएफओ टीवी मोहनदास पई के साथ बातचीत में मूर्ति ने कहा कि भारत की कार्य उत्पादकता दुनिया में सबसे कम है। चीन जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारत के युवाओं को प्रतिदिन कुछ अतिरिक्त घंटे काम करना होगा। यह ठीक उसी तरह होगा जैसा, जापान और जर्मनी के लोगों ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद किया था।

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भ्रष्टाचार को कम करना जरूरी

मूर्ति ने कार्य उत्पादकता में कमी के लिए भ्रष्टाचार और नौकरशाही जैसे अन्य मुद्दों को भी जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, ‘जब तक हम अपनी उत्पादकता में सुधार नहीं करते हैं, जब तक हम सरकार में सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार को कम नहीं करते हैं, नौकरशाही की दखलदांज को कम नहीं करते हैं, तब तक हम उन देशों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते हैं, जिन्होंने जबरदस्त प्रगति की है।’

अनुशासन, कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से बदलें कार्य संस्कृति

77 वर्षीय मूर्ति ने कहा कि भारत के युवाओं की तादाद देश में सबसे ज्यादा और उन्हें भारत की प्रगति की जिम्मेदारी उठानी चाहिए। अनुशासन, कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर हमें कार्य संस्कृति को बदलना होगा, क्योंकि इसके बिना सरकार बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर सकती है।

उन्होंने कहा, ‘हमें अनुशासित रहने और अपनी कार्य उत्पादकता में सुधार करने की आवश्यकता है। जब तक हम ऐसा नहीं करेंगे तब तक सरकार भी इस दिशा में कुछ नहीं कर पाएगी। किसी देश की सरकार वैसी ही होती है, जैसे वहां के लोग होते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमें अपनी कार्य संस्कृति को अत्यधिक दृढ़, अत्यंत अनुशासित और अत्यंत परिश्रमी लोगों में बदलना होगा।’

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