बड़े सपनों के लिए छोटा प्रयास “पेपर गर्ल की कहानी”

 

 

 

 

 

 

 

 

पूजा बड़थ्वाल,

देहरादून यदि जीवन में कुछ करने का जज़्बा हो, तो कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता…बस काम सही होना चाहिए। आज हम आपको देहरादून की रितिका यादव के बारे में बताने जा रहे है। जो इस पुरुष प्रधान समाज में एक उदाहरण बनकर कई लड़कियों को प्रेरणा दे रही है।अकसर आपने घरों में पेपर डालते हुए लडकों को ही देखा होगा। मगर आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि देहरादून की रितिका यादव भी देहरादून के जोगीवाला क्षेत्र में पेपर बाँटने का काम करती है। 

रितिका सुबह होते ही अपनी स्कूटी में न्यूज़ पेपर रखकर घर से निकल पड़ती है। पापा का बेटा हूं जब हमने उससे पूछा कि आप ये काम क्यो करती हो? तो उसने हमें बताया कि हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। मेरे पापा न्यूज़ पेपर बांटने का काम करते हैं। हम 4 बहनें हैं जिनमें मैं सबसे बड़ी हूँ। मेरा कोई भाई नही है। घर मे सबसे बड़ी होने के कारण मैं अपने पापा का हर काम में हाथ बंटाती हूँ। और मेरे पापा मुझे अपना बेटा ही मानते हैं। पापा को देहरादून के हर एरिया में जाकर न्यूज़ पेपर बांटने में काफी दिक्कत हो रही थी। जिस कारण मैंने अपने पापा की जिम्मेदारी को अपने कंधों में लेकर काम करना शुरू कर दिया।

मैं और पापा सुबह 5 बजे घर से निकलकर पहले नेहरू कालोनी जाकर पेपर इकठ्ठा कर अपनी- अपनी गाड़ी में रखते हैं। उसके बाद हम दोनों अपने -अपने एरिया में पेपर बांटने के लिए निकल जाते हैं। इस काम में मुझे बहुत मज़ा आ रहा है। हर एक गली में पेपर डालने के लिए जाना ये अपने आप में बेहतर अनुभव है। शुरुआत में हुई परेशान रितिका ने हमें बताया कि शुरुआत में पेपर बांटते समय मुझे बहुत परेशानी होती थी। कई बार पेपर को फोल्ड करके जब मैं लोगों के घर में फेंकती थी तो वो खुल जाता था। कभी बरामदे तक भी नही पहुँच पता था। तो कई लोग बहुत गुस्सा करते हैं। कि तुम्हें ठीक से फेंकना नही आता और कई लोग बहुत प्यार से समझाते हैं। पहले ये सब बातें मुझे बहुत बुरी लगती थी। लेकिन मैंने खुद में सुधार किया। आज वही लोग मुझसे बहुत खुश हैं।

डॉक्टर बनना मेरा सपना दरअसल रितिका डॉक्टर बनना चाहती है। जिसके लिए NEET की एग्जाम देना आवश्यक है।और उसके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं कि कोचिंग इंस्टीट्यूट की फीस दे सकें। जिसकारण रितिका अपने घर पर यूट्यूब और ऑनलाइन क्लास लेकर अपनी NEET की तैयारी करती है।

लोग करते हैं प्रश्न  ? रितिका ने बताया कि जब वो सुबह पेपर बांटने जाती है तो कई लोग उसको पूछते हैं? कि तुम ये काम क्यो कर रही हो? तो मैं उनसे कहती हूँ कि ये काम मुझे पसंद है।
ये काम करते हुए मैंने बहुत कुछ सीखा है। पहले मैं सुबह 9 बजे उठती थी। लेकिन जबसे काम शुरू किया लाइफ बिल्कुल चेंज हो गयी है। सुबह-सुबह घर से निकलकर काम पर जाते हुए बहुत सुकून होता है। सही मायने में कहूँ तो जिंदगी को देखने का नजरिया ही बदल गया है।

मेहनत के पैसे जब आपकी मेहनत के पैसे आपके हाथ में आते हैं तो बहुत खुशी होती है। उस पैसे को मैं अपनी कम्प्यूटर और बाकी चीजों पर खर्च करती हूं। अब मुझे पहले की तरह पापा से पैसे मांगने की जरूरत नहीं पड़ती है। मेरा सपना है कि मैं डॉक्टर बनकर अपने माँ पापा का नाम रौशन कर अपनी बहनों को बेहतर जिंदगी दे सकूं। मेरा मानना है कि कोई काम छोटा या बड़ा नही होता, बल्कि छोटी बड़ी होती है हमारी सोच…मेहनत के बल पर सब कुछ पाया जा सकता है। बस जरूरत होती है एक मौके की। जो मौका मेरे पापा ने मुझे दिया है।

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