DM देहरादून सोनिका ने शत्रु संपत्ति मामले में सुनाया ऐतिहासिक फैसला , काबिज लोगो को 15 दिनों में छोड़ना होगा अवैध कब्जा

डीएम देहरादून सोनिका ने शत्रु संपत्ति मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए वहां काबिज लोगो को 15 दिनों में अवैध कब्जा छोड़ने को कहा है, इस मियाद के खत्म होते ही जिला प्रशासन बल पूर्वक इस संपत्ति को खाली करवाएगा। ये मामला पिछले चालीस साल से जिला अधिकारी अदालत में चल रहा था।

नैनीताल में मेट्रोपॉल शत्रु संपत्ति को सरकार द्वारा खाली कराए जाने के बाद से देहरादून में भी शत्रु संपत्तियों को खाली करवाने के लिए शासन प्रशासन पर केंद्रीय गृह मंत्रालय से दबाव बना हुआ था। देहरादून में काबुल के राजा से जुड़ी इस शत्रु संपत्ति के मामले में, हाई कोर्ट के निर्देश पर डीएम देहरादून की अदालत में सुनवाई चल रही थी, जिसमे सम्पत्ति पर काबिज और अन्य दावेदारों को सुना गया था।

उक्त संपत्ति का मालिक केंद्रीय गृह मंत्रालय है जिसकी देखरेख की जिम्मेदारी जिला प्रशासन के द्वारा की जाती है। इस संपत्ति को खुर्दबुर्द करने के आरोप लग रहे थे और कई लोग फर्जी वारिस बन कर करोड़ो रु की इस काबुल हाउस की संपत्ति को हथियाने के प्रयास में लगे हुए थे और इसमें सहारनपुर से फर्जी दस्तावेज बनाए जाने के भी मामले सामने आए थे।

आज इस मामले में डीएम सोनिका ने फैसला सुना दिया।नैनीताल में भी मेट्रोपॉल शत्रु संपत्ति को सरकार ने अपने कब्जे में लेने के लिए यही प्रक्रिया अपनाई थी और इस बारे में हाई कोर्ट नैनीताल ने भी दिशा निर्देश दिए थे।

 शत्रु संपत्ति आखिर देहरादून में कहां 

प्राप्त जानकारी के अनुसार  1879 काबुल के राजा मोहम्मद याकूब खान देहरादून आकर बसे थे यहां उनकी संपत्ति कई स्थानों पर थी 1924 में उनकी मौत हो गई उनके वंशज बंटवारे के दौरान विदेश चले गए बाद में वो पाकिस्तान के नागरिक हो गए। उनके पारिवारिक मित्र रहे मोहम्मद असलम खान यूपी में और देहरादून में रहते है, उनका कहना है कि सरकार इस संपत्ति को अपने कब्जे में लेकर जनहित के कामों में लगाए।

जानकारी के मुताबिक काबुल राजा के फर्जी रिश्तेदार, सहारनपुर देहरादून में पैदा हो गए है और वो अब देहरादून की शत्रु संपत्तियों पर फर्जी दस्तवेज बना कर अपने दावे का रहे है इनमे मोहम्मद शाहिद, मोहम्मद खालिद अब्दुल रज्जाक का एक गिरोह है ,एक गिरोह आरिफ खान है ,तीसरा गिरोह तारीक अख्तर का है जोकि 23 शत्रु संपत्तियों की कब्जेदारो को रजिस्ट्री भी करके सरकार को धोखा दे चुका है। इस मामले में एफआईआर भी दर्ज हुई थी किंतु आज तक गिरफ्तारी नहीं हुई

जानकारी के अनुसार इस सारे प्रकरण में तहसीलदार रहे राशिद की भूमिका को भी संदिग्ध माना गया, इन संपत्तियों को नगर निगम के दस्तावेजों में भी हेर फेर करके चढ़ाया जाने वाला था जिसे तत्कालीन नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय द्वारा रोका गया।

ऐसा नहीं है कि इन मामलो की जानकारी शासन के अधिकारियों के संज्ञान में न हो, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी जब देहरादून की डीएम थी तब उनकी जानकारी में था, शासन में सचिव शैलेश बगौली , जिला अधिकारी रहे आशीष श्रीवास्तव हाल ही में एडीएम पद से हटाए गए बर्नवाल डीजीपी रहे अनिल रतूड़ी, डीआईजी रहे अजय रौतेला सबकी जानकारी में देहरादून की शत्रु संपत्ति के मामले संज्ञान में रहे है, लेकिन जब जब कब्जे मुक्त कराने की बात सामने आती है तो कोई न कोई सफेदपोश राजनीतिक दबाव उन्हे रोक देता रहा है।

 शत्रु संपत्ति मामले में सीएम धामी का सख्त रुख

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शत्रु संपत्ति मामले में सख्त रुख अपनाया हुआ है, उन्होंने डीएम सोनिका को सख्ती से निर्देशित किया है कि वो इन संपत्तियों को अपने कब्जे में लेकर उनकी हद बनाएं और बोर्ड लगाए इस संपत्ति को देहरादून के हित में उपयोग में लाए जाने की योजना बनाई जाए।

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