संसद की स्थायी समिति ने की सिफारिश, सशस्त्र बलों में अग्निवीरों की भर्ती में लायी जाये तेजी

पीटीआई। संसद की एक स्थायी समिति ने बुधवार को सिफारिश की है कि सशस्त्र बलों में अग्निवीरों की भर्ती तेज की जाए। जून 2022 में सरकार ने तीनों सेनाओं की आयु प्रोफाइल में कमी लाने के उद्देश्य से कर्मियों की अल्पकालिक भर्ती के लिए अग्निपथ भर्ती योजना शुरू की है।

संसदीय स्थायी समिति ने कहा कि रक्षा मंत्रालय से समिति को पता चला है कि सशस्त्र बल एक ऐसे दौर से गुजर रहे हैं, जहां कोविड के कारण जनशक्ति में मामूली कमी आई है।

संसदीय समिति की रिपोर्ट बुधवार को संसद में पेश की गई

संसदीय समिति की रिपोर्ट बुधवार को संसद में पेश की गई। इसमें कहा गया है कि ऑपरेशनल आवश्यकताओं के आधार पर रक्षा मंत्री को भर्ती किए गए अग्निवीरों की संख्या बढ़ाने का अधिकार है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संबंध में समिति सिफारिश करती है कि सेना में अग्निवीरों की भर्ती के प्रयास तेज किए जा सकते हैं ताकि जमीन पर सशस्त्र बलों की युद्ध क्षमताओं पर कोविड के कारण नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

17-21 साल के युवाओं को चार साल के लिए भर्ती करने की व्यवस्था

उन्होंने यह भी सिफारिश की है कि बलों में नियमित कैडर के रूप में शामिल किए गए लोगों के अलावा अग्निवीरों के एक समूह को किसी भी स्थिति में देश की सेवा के लिए तैयार रखा जा सकता है। अग्निपथ योजना में साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं को चार साल के लिए भर्ती करने की व्यवस्था है, जिसमें से 25 प्रतिशत को 15 और वर्षों के लिए बनाए रखने का प्रविधान है।

अग्निपथ योजना के तहत अगले वर्ष 40 हजार सैनिकों की भर्ती और उसके बाद के वर्षों में 45 हजार और 50 हजार सैनिकों की भर्ती की जानी है।

रक्षा अनुसंधान और विकास पर बजट बढ़ाएं

संसदीय समिति ने वार्षिक रक्षा बजट में अनुसंधान और विकास के लिए अधिक धन आवंटन करने की सिफारिश की है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के पास वर्तमान में 99,898 करोड़ रुपये की 328 परियोजनाएं चल रही हैं। सूची में रणनीतिक परियोजनाएं शामिल नहीं हैं। समिति ने कहा कि 23 परियोजनाएं निर्धारित समय के भीतर पूरी नहीं हुईं। हालांकि, पिछले 10 वर्षों के दौरान 34 हजार करोड़ रुपये से अधिक की 571 परियोजनाएं सफलतापूर्वक पूरी की गई हैं।

रक्षा बजट पर जीडीपी का एक निश्चित हिस्सा तय हो

संसदीय समिति ने कहा कि सरकार को रक्षा बजट के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का एक निश्चित हिस्सा तय करना चाहिए क्योंकि पड़ोसी देशों द्वारा सैन्य व्यय और उभरते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य के कारण देश को भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए इस तरह के खर्च की आवश्यकता होती है। समिति इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि पिछली सिफारिश के बाद भी इस तरह के मानक पर पहुंचने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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