भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की विशेषज्ञता पर पड़ोसी देश भी करते हैं भरोसा -उपराष्ट्रपति

एएनआई। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने चक्रवात जैसी मौसमी घटनाओं के बारे में समय पर पूर्वानुमान जारी करने के लिए भारत मौसम विज्ञान विभाग की सराहना की है। IMD के द्वारा समय पर मिली जानकारी से जीवन बचाने में मदद मिली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि आईएमडी का प्रभाव सीमाओं से परे तक फैला हुआ है क्योंकि पड़ोसी देश भी इसकी विशेषज्ञता पर भरोसा करते हैं जैसा कि चक्रवात ‘Mocha’ के दौरान “प्रमाणित” हुआ।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, “आईएमडी का प्रभाव हमारी सीमाओं से परे तक फैला हुआ है। हमारे पड़ोसी भी आईएमडी की विशेषज्ञता पर भरोसा करते हैं जैसा कि चक्रवात ‘Mocha’ के दौरान देखा गया था। हमारी तकनीकी प्रगति भी सॉफ्ट डिप्लोमसी का एक महत्वपूर्ण तंत्र है क्योंकि रिश्तों को इस बात से परिभाषित किया जाता है कि एक देश को अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी में दूसरे देश से क्या हासिल हुआ है।” 

मौसम विभाग हर जीवन को करता है प्रभावित 

उन्होंने यह भी कहा कि मौसम विभाग हर जीवन को प्रभावित कर रहा है, चाहे वह खेती करने वाले किसान हों या सीमाओं की रक्षा करने वाले जवान हों।

आईएमडी की साल भर चलने वाली 150वीं वर्षगांठ समारोह की शुरुआत करते हुए धनखड़ ने कहा कि आईएमडी हमारे राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने वाले सुरक्षा जाल के रूप में कार्य करता है, हमारे नागरिकों को प्रकृति के प्रकोप से बचाता है।

‘IMD का हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण सकारात्मक भूमिका’

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, “आईएमडी सिर्फ मौसम के पूर्वानुमान से कहीं आगे है और मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मैं एक किसान का बेटा हूं। आईएमडी हमारे राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने, हमारे नागरिकों को प्रकृति के प्रकोप से बचाने के लिए एक सुरक्षा जाल के रूप में कार्य करता है । यह निश्चित रूप से हमारे लिए अत्यंत उपयोगी है। हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। कृषि से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक, विमानन से लेकर ऊर्जा तक, यह हमारे जीवन में मौजूद है और सकारात्मक रुख के साथ। ज़मीन पर खेती करने वाले किसानों से लेकर सीमाओं की रक्षा करने वाले जवानों तक, आईएमडी एक महत्वपूर्ण सकारात्मक भूमिका निभाता है।” 

‘हमें अपने वैज्ञानिकों पर है गर्व’ 

उपराष्ट्रपति ने कहा, “एक समय था जब आईएमडी बारिश की भविष्यवाणी करता था और बारिश नहीं होती थी क्योंकि वैज्ञानिक प्रगति बहुत कम थी। अब इतनी सटीकता है, यह सेकंडों में होती है। हमें अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है।”

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