छठ महापर्व को लेकर उत्साह, सभी घाटों पर डूबते सूर्य को महिलाओं ने दिया अर्घ्य

उत्तराखंड में भी छठ के महापर्व को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है राजधानी देहरादून के सभी घाटों पर छठ पूजा के तीसरे दिन महिलाओं द्वारा उपवास रखकर पूजा के लिए पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। महिलाओं द्वारा छठ पूजा के तीसरे दिन उपवास रखकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया इस दौरान शासन प्रशासन द्वारा भी छठ पूजा को लेकर विशेष तैयारी की गई थी घाटों में सफाई व्यवस्था के साथ ही तमाम तरह की व्यवस्थाएं की गई थी जिससे कि छठ महापर्व को लेकर श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत ना हो। बता दें कि आज छठ पर्व का तीसरा दिन है जिसमें डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व है।

आखिर क्यों मनाया जाता है छठ का पर्व 
 
दरअसल छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला एक अनुष्ठान, भक्ति और गहन आध्यात्मिक अर्थ से भरा हुआ त्यौहार है| यह त्यौहार उत्तरी भारत में मनाये जाने वाला एक ऐसा त्यौहार है जिसमें सूर्य देवता की उपासना की जाती है| छठ पूजा एक सांस्कृतिक परंपरा है जो संतुलन, पवित्रता और भक्ति का वर्णन करती है साथ ही सूर्य को स्वास्थ्य, धन और सफलता का देवता माना जाता है. कुछ लोग इस छट पूजा प्रकृति से प्रेम और नए फसल के पैदावार से जोड़कर देखते हैं, क्योंकि इसमें उगते और ढलते सूरज के सामने तमाम तरह के फल और अनाज से बने पकवानों का अर्घ्य दिया जाता है|  छठ पूजा भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व का हिस्सा है. इसमें भक्त अपने पुराने सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत से जुड़ते हैं और पर्यावरण के संरक्षण की भी चर्चा करते हैं. यह चार दिन की यात्रा है जिसमें भक्त अपनी आभार और भक्ति की भावना से भरी पूजा करते हैं|  छठ पूजा का आयोजन रीति-रिवाजों और समारोहों के साथ होता है|  

 

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