मोटा अनाज के वैश्विक मानकों के विकास पर सराहा गया भारत का प्रस्ताव

पीटीआई। सेहत और पर्यावरण के लिए सौ प्रतिशत खरे मोटा अनाज के वैश्विक मानकों के विकास के भारत के प्रस्ताव को अंतरराष्ट्रीय मान्यता का रास्ता खुल गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के बनाए प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता मानक निकाय के सदस्यों ने इसे सराहा है।

भारत ने 15 प्रकार के मोटे अनाज के लिए गुणवत्ता के आठ मानक निर्धारित किए

मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि कोडेक्स एलीमेनटेरस कमिशन (सीएसी) ने भी इटली के रोम में 46वें सत्र के दौरान मोटा अनाज (मिलेट) के भारत के दिए मानकों की प्रशंसा की है। भारत ने 15 प्रकार के मोटे अनाज के लिए गुणवत्ता के आठ मानक निर्धारित किए हैं।

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के गठित सीएसी और 188 सदस्य देशों वाले संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने भारत के बताए ज्वार (सोरघुम) और बाजरा (पर्ल मिलेट) का अनुमोदन किया है।
 
दालों के विकल्प के रूप में प्रयोग करने की सलाह दी गई

भारत ने अपने प्रस्ताव में विश्व भर में मोटा अनाज उगाने के लिए खासकर रागी (फिंगर मिलेट), सांवा (बार्नयार्ड मिलेट), कोदो (कोदो मिलेट), चीना बाजरा (प्रोसो मिलेट) और कुटकी (लिटिल मिलेट) के विकास का खाका पेश किया है। इनका दालों के विकल्प के रूप में प्रयोग करने की सलाह दी गई है।

एफएसएसएआइ के सीईओ जी कमला वर्धन राव के नेतृत्व में रोम स्थित एफओए के मुख्यालय में हुए सम्मेलन में शामिल हुए भारतीय प्रतिनिधिमंडल को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बधाई दी है। इस सम्मेलन में यूरोपीय संघ समेत 161 सदस्य देश शामिल हुए थे।

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