मुख्य सचिव ने प्रदेश के वन पंचायत में जड़ी-बूटी उत्पादन के सम्बन्ध में अधिकारियों को दिए निर्देश 

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु की अध्यक्षता में बुधवार को सचिवालय में प्रदेश के वन पंचायत में जड़ी-बूटी उत्पादन के सम्बन्ध में सम्बन्धित विभागों के साथ बैठक आयोजित हुयी। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में वन पंचायतों एवं वन से लगे क्षेत्रों में जड़ी-बूटी के उत्पादन की दिशा में कार्य शीघ्र शुरू किए जाने के निर्देश दिये।

बैठक में मुख्य सचिव ने निर्देश देते हुए कहा  कि इसके लिए शीघ्र ही एक फेडरेशन का गठन किया जाए। उन्होंने कहा कि सभी ऐसी इच्छुक वन पंचायतों को, जो हर्बल अरोमा टूरिज्म पार्क के लिये मानदंडों को पूरा करता है, इसमें शामिल किया जाये। इसके लिए डीएफ़ओ के माध्यम से शीघ्र कार्रवाई करने के निर्देश दिये गए। उन्होंने कहा कि वन पंचायतों के क्षेत्र विस्तार (बड़ी वन पंचायतें) के बजाय इच्छुक वन पंचायतों को प्राथमिकता दी जाए, इससे सफलता की अधिक संभावनाएँ हैं। उन्होंने छोटे और बड़ी मूल्य संवर्धन इकाइयों पर भी फोकस किए जाने के निर्देश दिये। कहा कि प्रदेश में अधिक से अधिक वैल्यू एडिशन यूनिट तैयार की जाएं।

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इसके साथ ही मुख्य सचिव ने कहा कि किस विभाग और अधिकारी को क्या करना है इसकी जानकारी के लिए अगले दो तीन सप्ताह में वर्कशॉप का आयोजन कर लिया जाए। उन्होंने प्रत्येक स्तर पर जो भी कार्य होने हैं उसके लिए तिथि सहित समय सीमा निर्धारित कर ली जाएँ। उन्होंने औषधीय पौधों की नर्सरी भी समय से तैयार हो जायें इसके लिए भूमि चयन एवं अन्य तैयारियाँ भी साथ साथ शुरू की जाएँ। उन्होंने कहा कि इसमें जिलाधिकारी एवं डीएफओ को महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। इसके लिए डीएम, डीएफ़ओ एवं ज़िला उद्यान अधिकारी लगातार बैठकें आयोजित कर योजना को गति देने का कार्य करें।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, पीसीसीएफ डॉ. धनंजय मोहन, सीसीएफ डॉ. पराग मधुकर धकाते, सचिव श्री दीपेन्द्र कुमार चौधरी एवं निदेशक सेंटर फॉर एरोमैटिक प्लांट डॉ. निरपेंद्र चौहान सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।

 

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