लोकगायक व संगीतकार गुंजन डंगवाल का सड़क दुर्घटना में निधन, “चैता की चैत्वाल” में दिया था संगीत

उत्तराखंड के बेहतरीन युवा लोक गायक और संगीतकार गुंजन डंगवाल का आज चंडीगढ़ में सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। उत्तराखंड के लोक कलाकारों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त लड़ते हुए कहा कि आज एक बहुत अच्छा इंसान हमें छोड़कर हमेशा के लिए चला गया। उनकी मौत लोक गायन के लिए बहुत बड़ी हानि है।

कई शानदार गीतों में दिया था बेमिसाल संगीत

छोटी सी उम्र में बड़ी पहचान बनाने वाले लोकगायक और संगीतकार गुंजन डंगवाल के फेमस गीतों में नंदू मामा की स्याली रे कमला गोरो रंग तेरो रे, आज लागलू मंडाण, ढोल दमों बजिगे न, चैता की चैत्वाल जैसे शानदार गीत शामिल हैं। जिनको अकसर आपने शादी ब्याह में सुना होगा।

मूल रूप से टिहरी गढ़वाल के थे गुंजन

लोक गायक गुंजन डंगवाल मूल रूप से अखोड़ी जाखणीधार टिहरी गढ़वाल के रहने वाले थे। और वर्तमान में अपने परिवार के साथ देहरादून के केदारपुरम में रहते थे। लोकगायक सौरव मैठाणी ने बताया कि शुक्रवार को वो अपने निजी काम से चंडीगढ़ गए थे। शनिवार सुबह चार बजे देहरादून आते वक्त सड़क हादसे में उनका निधन हो गया।

“चैता की चैत्वाल”से हम दोनों को मिली पहचान

लोकगायक अमित सागर ने बताया कि जब से गुंजन जी के निधन का समाचार सुनकर मैं स्तब्ध हूं। विश्वास नही हो रहा कि वो इतनी कम उम्र में हमें छोड़कर चले गए। “चैता की चैत्वाल” गीत ने हम दोनों को पहचान दिलाई। और अभी हम चैत्वाल 3 में एक साथ काम कर रहे थे। वो बहुत टैलेंटेड थे। और लोकगायन और संगीतकार के तौर पर उनकी भरपाई सम्भव नहीं।

 

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